
पाकिस्तान में सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का सिक्का कितना चलता है, इसका ताजा सबूत दुनिया के सामने आ गया।
अदालत का साफ आदेश होने के बावजूद खैबर पख्तूनख्वा (KP) के CM सोहेल अफरीदी को अडियाला जेल के गेट पर रोक दिया गया—क्यों?
क्योंकि वह इमरान खान से मिलना चाहते थे।
जेल प्रशासन बोला—“सर, मिलना मना है… ऊपर से ऑर्डर है।”
ऊपर से मतलब कौन? ये बात अब पाकिस्तान में बच्चा भी समझ चुका है।
“एक CM को भी Entry नहीं? यह कौन-सा लोकतंत्र है!”
नाराज़ CM अफरीदी ने जेल के बाहर मीडिया के सामने भड़ास निकाली, “क्या KP पाकिस्तान का हिस्सा नहीं? अदालत कह रही है जाओ… सेना कह रही है मत जाओ!”
उन्होंने इमरान खान की बहनों पर हुए अत्याचार का भी जिक्र किया, जिन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान वॉटर कैनन से तितर-बितर कर दिया गया था।
अफरीदी का सवाल सीधा था— “क्या हम जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं या बस सजावटी वस्तु?”
“PTI सत्ता में आई तो हिसाब होगा”—CM की सीधी चेतावनी
अफरीदी यहीं नहीं रुके। उन्होंने सरकार और सेना को खुलेआम चेतावनी दी, “जब PTI सत्ता में लौटेगी, तब संघीय और पंजाब सरकार से हिसाब लिया जाएगा।”

उन्होंने दावा किया कि पिछले तीन साल से इमरान खान को राजनीति से बाहर करने की कोशिश चल रही है, लेकिन हर कोशिश फेल गई।
अडियाला जेल के बाहर हंगामा—वॉटर कैनन से बहनें भीगीं
इमरान खान की बहनें और दर्जनों समर्थक जेल के बाहर प्रदर्शन पर बैठे थे। सुबह पुलिस ने वॉटर कैनन चला दी— जैसे ये कोई राजनीतिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि गर्मी भगाने का ठंडा उपाय हो।
यह पूरा दृश्य पाकिस्तान की राजनीति में सेना और पुलिस के ‘ओवरएक्टिंग मोड’ का नया उदाहरण बन गया।
Army vs Democracy—Pakistan का पुराना रोना फिर ताज़ा
यह घटना साफ बताती है कि पाकिस्तान में अंतिम निर्णय जनता का नहीं, बल्कि पावर्ड यूनिफॉर्म का चलता है। CM हो, जज हो, सांसद हो—जो भी “ऊपर” से बाहर निकलेगा… जेल का गेट बंद हो जाएगा।
सवाल सिर्फ इतना—जब एक सूबे का मुख्यमंत्री जेल में घुस नहीं सकता, तो आम जनता का क्या हाल होगा?
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